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Tuesday, February 22, 2011

जिदंगी के रास्ते




है पुरख़तर (मुश्किल) जिदंगी के रास्ते
जरा सभंल कर चला किजिए।

बॉटिए अमृत सभी को 
और खुद गरल पिया किजिए।

भरते हैं जो नफरत दिलों में
उनके लिए ही दुआ किजिए।

प्यार ही प्यार होगा हर दिल में
दुश्मनों को भी गले लगा लिजिए।

न सोचिए क्या होगा अंजाम ए मोहब्बत
हर दिल में चराग ए इश्क जला दिजिए।

मिल जाएगी सारे जहॉ की खुशियॉ
गैरों के लिए खुद को मिटा दिजिए।

20 comments:

  1. बॉटिए अमृत सभी को
    और खुद गरल पिया किजिए।


    क्या बात है .....

    बड़े नेक ख्यालात हैं अमित जी ....
    आमीन ....

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  2. बहुत भावुक हो भाई ...शुभकामनायें आपके लिए !

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  3. भरते हैं जो नफरत दिलों में
    उनके लिए ही दुआ कीजिये
    उम्दा शेर..सुन्दर भाव

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  4. प्रशंसनीय बहुत ही उम्दा रचना .....बधाई स्वीकार करें

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  5. भरते हैं जो नफरत दिलों में
    उनके लिए ही दुआ कीजिये
    सुंदर सोच ...बेहतरीन भाव..... सार्थक सन्देश

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  6. मिल जाएगी सारे जहॉ की खुशियॉ
    गैरों के लिए खुद को मिटा दिजिए।

    बहुत बढ़िया सर!

    सादर

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  7. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  8. बहुत ही सुन्दर अमित जी

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  9. बॉटिए अमृत सभी को
    और खुद गरल पिया किजिए
    बहुत ही सुन्दर.......

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  10. बॉटिए अमृत सभी को
    और खुद गरल पिया किजिए।

    बहुत खूब! बहुत सुन्दर गज़ल..

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  11. इन्सानियत का संदेश देती सुन्दर कविता !

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  12. न सोचिए क्या होगा अंजाम ए मोहब्बत
    हर दिल में चराग ए इश्क जला दिजिए।
    kya baat hai

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  13. सुंदर सोच ...बेहतरीन भाव..... सार्थक सन्देश

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  14. वाह ...बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द ।

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  15. बहुत बढ़िया प्रस्तुति.
    बढ़िया सोच .
    आदर्शवादी ग़ज़ल.
    सलाम.

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  16. बांटिए प्यार सभी को....बहुत सुंदर। सार्थक और प्रेरक रचना।

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  17. भरते हैं जो नफरत दिलों में
    उनके लिए ही दुआ कीजिए

    उत्तम विचारों से सजी ग़ज़ल आत्मचिंतन के लिए बाध्य करती है।

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  18. बहुत सुंदर रचना .. बधाई

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