चित्र गुगल साभार
कब ढली शाम और कब हुई सहर
मुझे अपना भी कोई होश नहीं
और न जमाने की फिकर
हर लम्हा तेरी यादों में खोये रहते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
तपते हुए सहरा में हम
नंगे पॉव मीलों चलते है
जख्मों का असर अब होता नही
दर्द में भी मुस्कुराते रहते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
अपने गिरेबॉं में झॉक कर देखो लोगों
जहॉ नफरतों के बीज पलते है
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
पर लोगों के दिल कहॉ मिलते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
सच्चे लोगों को आजकल पागल ही समझा जाता है। अच्छी रचना के लिये बधाई, शुभकामनायें।
ReplyDeleteआजकल तो यही हाल है.... सुंदर प्रभावी रचना
ReplyDeleteपर लोगों के दिल कहॉ मिलते है
ReplyDeleteदुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
बहुत बढ़िया और सामयिक रचना.
सादर
बहुत खूब अमित भाई ,
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है, सच है सच्चे लोगो को दुनिया पागल ही समझती है
शुभकामनाये
ये दुनिया है ही बड़ी ज़ालिम .... हालत के मारे को पागल कहती है .. :( ... बहुत खूब ..
ReplyDeleteतपते हुए सहरा में हम
ReplyDeleteनंगे पॉव मीलों चलते है
जख्मों का असर अब होता नही
दर्द में भी मुस्कुराते रहते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
bahut hi badhiyaa
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है....बहुत ही सुन्दर, आभार.
ReplyDeleteसच कहा अमित जी !
ReplyDelete'हाथ तो मिलते हैं सभी के यहाँ
पर लोगों के दिल कहाँ मिलते हैं '
अरे भैया , उन सयानों से हम पागल ही भले !
is kroor samay ko chand panktiyon me bayaan kar diyaa aapane..
ReplyDeleteअपने गिरेबॉं में झॉक कर देखो लोगों
ReplyDeleteजहॉ नफरतों के बीज पलते है
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
पर लोगों के दिल कहॉ मिलते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।
बहुत खूब! दुनिया वालों को कहने दीजिये.......किसी शायर ने कहा है............
एक हमें आवारा कहना, कोई बड़ा इलज़ाम नहीं
दुनिया वाले, दिल वालों को और बहुत कुछ कहते हैं
अपने गिरेबॉं में झॉक कर देखो लोगों
ReplyDeleteजहॉ नफरतों के बीज पलते है
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
पर लोगों के दिल कहॉ मिलते है...
बहुत सार्थक और समसामयिक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर .
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
ReplyDeleteपर लोगों के दिल कहॉ मिलते है!!
क्या खूब कहा आपने!
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
ReplyDeleteशायद सच्चाई अभी भी यही है.
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
ReplyDeleteपर लोगों के दिल कहॉ मिलते है...
बेहतरीन ।
तपते हुए सहरा में हम
ReplyDeleteनंगे पॉव मीलों चलते है
जख्मों का असर अब होता नही
दर्द में भी मुस्कुराते रहते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।..bahut bahut khub...sache man ki sachi abhivykati...
अपने गिरेबॉं में झॉक कर देखो लोगों
ReplyDeleteजहॉ नफरतों के बीज पलते है
हाथ तो मिलते है सभी के यहॉ
पर लोगों के दिल कहॉ मिलते है
दुनिया वाले अब हमें पागल कहते है।...
बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।
'हाथ तो मिलते हैं सभी के यहाँ
ReplyDeleteपर लोगों के दिल कहाँ मिलते हैं
सच कहा आपने दुनिया की नजरों में हम पागल है| सुन्दर अभिव्यक्ति !
हमे नाज की हम तेरी नजरों मे पागल है
ReplyDeleteहमे फक्र की हम तेरी मोहब्बत मे हुये घायल है