कुदरत ने इसके साथ ये कैसा मजाक किया है
कलम की जगह इसने हाथों में कुदाल लिया है।
लड़ते हैं ये रोज दुनिया से रोटी के वास्ते
बड़े ही दुर्गम और कॉटों से भरे है इनके रास्ते।
कुछ तो पिज्जा और बर्गर से भी मुहं फेरते है
ये मासुम बच्चे सिर्फ दो रोटी को तरसते है।
सामने आ भी जाए तो हम इन्हें दुत्कारते है
बगल में बैठे कुत्ते को हम प्यार से पुचकारते है।
इनकी बेबसी हमें बहुत कुछ सोचने को मजबुर करती है
इन मासुमों की जिन्दगी क्या कुत्तों से भी गई गुजरी है।
दिल को छूने वाली रचना.....आपका साधुवाद.
ReplyDeleteस्वंय कि बडाई के लिए नहीं, वरन दूसरों को प्रेरित करने के लिए बता दूँ कि मैं मेरे गांव के दो गरीब छात्रों के अध्धयन का पूर्ण खर्च वहन करता हूँ.
पुनः साधुवाद
.......बहुत सुन्दर और मार्मिक कविता है
ReplyDeletekaruna se bhari bhawbhini rachna.
ReplyDeletebahoot hi marmik evam dil ko chhoo lene vali post kavita .
ReplyDelete.
ReplyDeleteहमारे देश में गरीबी , इन बच्चों से उनका बचपन छीन रही है। कहीं करोड़ों के घोटाले हैं , तो कहीं दो जून की रोटी के भी लाले हैं।
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अमित भाई सुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए शुभकामनायें
ReplyDeleteहमारे देश मे बाल मजदूरी एक विकट समस्या है आपने इस ओर ध्यान दिया इसके लिए आभार
दु:खद बात है।
ReplyDelete"इनकी बेबसी हमें बहुत कुछ सोचने को मजबुर करती है
ReplyDeleteइन मासुमों की जिन्दगी क्या कुत्तों से भी गई गुजरी है"
बहुत मार्मिक.ये हमारे देश की विडम्बना है की जिन हाथों में किताब और क़लम होनी चाहिए उन हाथों में फड़वा और कुदाल है.
मेरा एक दोहा है:-
नन्हे-मुन्नों का उठा,जीवन से विश्वास.
होटल में बच्चे दिखे,धोते हुए गिलास.
मैं इसे रोकूंगा ईसा संक्लप चाहिए
ReplyDeletehaan bal mazdoori ko khatm kiye bina hamaara samaaj mature nahi ho sakta...
ReplyDeleteलड़ते हैं ये रोज दुनिया से रोटी के वास्ते
ReplyDeleteबड़े ही दुर्गम और कॉटों से भरे है इनके रास्ते।
xxxxxxx
बहुत मार्मिक रचना ...सोच कर अनुभव हुआ की दुनियां का रंग कैसा है .....शुक्रिया
बहुत सुन्दर मार्मिक रचना !
ReplyDeleterachna sachchai se roobroo hai ..
ReplyDeletekalm sarthak hui amitji!
marmik rachna , hamko jhakjhhorti hai kuchh karo
ReplyDeleteaur ham chup hai taras aata hai aapne aap par
Sunil bhai baat aapki sahi hai. ye ek aadmi ki zimmedari nahi banti hai. sabhi jagruk logo ko aage badna hoga tabhi ja kar ye ruk payega. tippni karne ke liye dhanyabad.
ReplyDeleteवाकई !! ये बच्चे ज़मी से चूम कर उठाने लायक होते हैं
ReplyDelete-लोरी