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Tuesday, December 7, 2010

बनारस में एक बार फिर लहुलुहान हुआ देश

चित्र  santabanta.com साभार

बनारस में एक बार फिर आतंकवादियों ने हमारी सुरक्षा प्रणाली को धत्ता बताते हुए एक हृदय विदारक घटना को अंजाम दिया। हर बार की तरह एक बार फिर से हमारे देश के नेताओं ने इस घटना पर अफसोस व्यक्त किया एवं इसकी घोर निदां की और जनता को आश्वासन दिया कि इस तरह की घटनाओ को अजांम देने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।  इन नेताओं की मोटी चमड़ी पर कोई फर्क नही पड़ने वाला।  जब भी इस तरह का कोई वाक्या होता है तो ये लोग निन्दा करके एवं मुआवजा देकर अपना पिडं छुड़ा लेते है। इन्हे मरने वालों के परिजनों का एवं घायल लोगों के दर्द को कोई एहसास नहीं होता क्योंकि इनमें इनके अपने नहीं होते है। ये तो ‘शुक्र है भगवान का कि इस घटना में ज्यादा क्षति नहीं हुई एवं सिर्फ एक बच्ची की जान गई। ये बातें सुनकर हमारी सरकार खुश हो सकती है हमारे नेता खुश हो सकते है लेकिन जरा कोई उन घरों में झॉंक कर देखे जिस घर से एक जान चली गई। कल तक जहॉं उस घर में उस बच्ची की हसीं गुजॉं करती थी आज उसके ‘शव पर लोग विलाप कर रहे है। क्या सरकार के आश्वासनों एव मुआवजों से उस घर की खुशियॉं लौट आएगीर्षोर्षो मरना तो एक दिन सभी को है लेकिन ऐसे नही ।हम सरकार चुनते है ताकि वो हमारी हितों एवं हमारी जान माल की सुरक्षा कर सके। प्रत्येक साल इस तरह की दो तीन घटनाएंं हो जाती है। उस हम अफसोस जताते है। फिर कुछ दिनों के बाद सब भुल जाते है। ये हमारी सरकार का फर्ज बनता है कि उन इन्सानियत के दुश्मनों को पकड़ कर सजा दे। लेकिन होता क्या है ये सब कुछ हमारी ऑंखों के सामने है। ससन्द भवन हमले का आरोपी अभी भी जीवित है, मुम्बई हमले का आरोपी कसाब अभी तक जीवित है और उस पर प्रति महीने लाखों खर्च किये जा रहे है। पाकिस्तान में बैठे उनके आका आराम से घूम रहे है। पिछले दिनों मुम्बई हमले की बरसी पर सरकार द्वारा बयान आया था कि पाकिस्तान इन हमले मे आरोपित दोषियों को सजा दे। लेकिन हम सभी लोग जानते है कि ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला। अमेरिका में हुए वल्र्ड ट्रेड सेटंर हमले के बाद वैसा हादसा कभी दुहराया नहीं गया। इस हमले को लगभग दस साल होने को है। तो हम क्यों बार बार इस त्रासदी को झेलते हैर्षोर्षो आखिर ये दोष किसका है, हमारी निक्कमी सरकार का जो आकठं भ्रष्टाचार में डुबी है या फिर हमारी सुरक्षा प्रणालियों का । वजह चाहे जो भी हो हर बार भुक्तभोगी बेचारी निरीह जनता ही बनती है। मुझे याद आ रहा है `ए वेडनसडे´ फिल्म का एक डायलाग जिसमें कहा जाता है कि हम तो तुम्हे ऐसे ही मारेगें तुम क्या कर लोगे।

11 comments:

  1. अमित भाई,
    आज सुबह से मन दुखी है बार बार मन मे आ रहा है कि हम क्यों इतने बुजदिल हो गये है कि हमपर बार बार हमला हो रहा है और हम कुछ नही कर पा रहें है।
    जबिक हमारा देश हिन्दू देश है जिसके सभी देवी-देवता के हाथो मे हथियार है, और इतिहास गवाह है कि हम कभी पीछे नही हटे। तो फिर आज हम पंगू बने क्यो बैठे है ।

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  2. जिसमें कहा जाता है कि हम तो तुम्हे ऐसे ही मारेगें तुम क्या कर लोगे।
    yahee sahi hai

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  3. गंभीर समस्या है, जब तक स्वार्थ परक राजनीति समाप्त नहीं होती, क्या किया जा सकता है...

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  4. बहुत सुंदर /
    नेता मेरे नेता .....
    मेरे ब्लॉग पर भी पधारे ....मैं बिहारशरीफ में ही पोस्टेड हूँ
    http://babanpandey.blogspot.com
    ph..99739-27974

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  5. बहुत ही विचारणीय पोस्ट. बहुत ही सही कहा आपने. आखिर कब तक ये सब होगा . अब सब्र देने का नहीं हकीकत में कुछ करने का समय है. ....

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  6. बहुत शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिती है। और क्या कह सकते हैं । आभार।

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  7. क्या कहें ..बस आह भर सकते हैं ....हम नहीं - हमारे नेता ...शुक्रिया

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  8. अमित भाई,

    बनारस की घटना बहुत शर्मनाक हैं....

    आभार।

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  9. मेरे ब्लॉग "एक्टिवे लाइफ" पर आने के लिए दिल से धन्यवाद ...

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  10. बनारस में हुई आतंकवादी घटना दिल हिला देने वाली है. जेहाद के नाम पर जो लोग आतंकवाद फैला रहे हैं वो कड़ी सजा के हक़दार हैं

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