चित्र गुगल साभार
जिस्त टुकड़ों में हम बिताते रहे
कभी रोते तो कभी मुस्कुराते रहे।
शमॉं भी बुझ गई तेरे इंतजार में
रौशनी के लिए दिल को जलाते रहे।
किसी ने कहा जो संगदिल तुझे
तेरी वफा के किस्से सुनाते रहे।
लोगों ने पुछा दैरो हरम का पता हमसे
तेरे घर की तरफ उगंलियॉं उठाते रहे।
वो जख्म दर जख्म देते रहे ‘अमित’
और हम रस्म-ए-मोहब्बत निभाते रहे।
pyare bhavon ki sundar gazal...
ReplyDeleterasme mohabbat nibhate rahe.....
beautiful composition ...
ReplyDeleteamit ji, bahoot hi gahre bhav hai gazal men..........dil men utarti hui.
ReplyDeleteवो जख्म दर जख्म देते रहे ‘अमित’
ReplyDeleteऔर हम रस्म-ए-मोहब्बत निभाते रहे।
ये इश्क है भाई.इसमें यही होता है
वाह,क्या बात है!
ReplyDeletewah ji wah.. bahut badiya..
ReplyDeletePlease visit my blog..
Lyrics Mantra
लोगों ने पुछा दैरो हरम का पता हमसे
ReplyDeleteतेरे घर की तरफ उगंलियॉं उठाते रहे।
umda ghazal!
वाह,क्या बात है...बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteMerry Christmas
ReplyDeletehope this christmas will bring happiness for you and your family.
Lyrics Mantra
लोगों ने पुछा दैरो हरम का पता हमसे
ReplyDeleteतेरे घर की तरफ उगंलियॉं उठाते रहे।
खुबसूरत गज़ल हर शेर दाद के क़ाबिल, मुबारक हो
लोगों ने पुछा दैरो हरम का पता हमसे
ReplyDeleteतेरे घर की तरफ उगंलियॉं उठाते रहे।
हरेक शेर लाज़वाब..बाहर सुन्दर गज़ल
जितनी तारीफ़ की जाय कम है ।
ReplyDeleteसिलसिला जारी रखें ।
आपको पुनः बधाई ।
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ReplyDeleteसुन्दर रचना, बधाई.....
ReplyDeleteदिल की आवाज
ReplyDeleteआभार